कुछ चीजों के अहसास के लिए उम्र का होना अनिवार्य नहीं होता, बहुत बार वो सब यूँ ही हो जाती हैं। इसमें अजीब कुछ भी नहीं होता जो होता है वो सब अपने आप ही होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप किसी के अहसास को महसूस कर रहे होते है, अगर वो भी महसूस करेगा तो वो इत्तेफ़ाक़ नहीं होगा, वही होती है "एक झलक मोहब्बत की" -
गुड़िया सी बैठी मन को मोह लेती,
पड़ोस में रहती पर कुछ भी न कहती,
छुट्टी तक का टाइम भी यूँ गुजरता,
की मैं उसे और वो मुझे देखती,
साथी ने हमें यूँ देखते देख लिया,
और उसने जाकर के मास्टर से कह दिया,
मास्टर ने उसे छोड़ मुझे बुला लिया,
और मोहब्बत के चक्कर में पिछवाड़ा सुजा दिया,
उस दिन से कुछ ऐसा हो गया की वो तो दिखती नहीं,
और मास्टर से मैं कट्टा हो गया।
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