आधुनिक मां

 एक माँ दुनिया का सबसे बड़ा योद्धा होता है, वो चाहे तो भविष्य के नक्शे बदल सकती है और चाहे तो अनचाहा तूफान खड़ा कर सकती है। एक माँ ही है जो सबसे अधिक पूजनीय है।


मेरी आह मेरी पुकार को 
अपना उदर का दर्द न समझो मां,
ये मेरी जीवन की विडंबना है
अपनी परेशानी का मर्ज न समझो मां।

मुझे बाहर नहीं आना, अपने दर्द को रोक लो,
मुझे स्नेह चाहिए आपसे, बस इतना ही सोच लो,
मुझे मां चाहिए प्यार करने वाली, बेखबर नहीं,
वादा करो पहले करोगी दुलार, या मान लूँ फिक्र नहीं।

मुझे मां चाहिए ऑफलाइन, ऑनलाइन वाली नहीं,
मुझे तुम्हारी गोद में सोना है नरम बेड पर नहीं,
मुझे तुम्हारे हाथ से दूध पीना है, बाई से नहीं,
बुचकों वाली कटिंग चलेगी पर नाई से नहीं।

मुझे मॉडर्न खिलोने नहीं चाहिए, मिट्टी का पपैया भी चलेगा,
मेरे संग बैठ कर खेलो तो बोलो, मोबाइल का गेम नहीं चलेगा,
मैं मन की बात करना चाहती हूं, कहीं फेसबुक पर न लग जाना,
कोई मुझसे बदतमीजी कर रहा है, इसे अफवाह न समझ जाना।

इस इंटरनेट ने बच्चों के बचपन को उजाड़ कर रख दिया,
सब को इससे बहुत कुछ मिला, पर इसने हमें क्या दिया,
हे इंटरनेट के देवता, अब आपसे विनती मेरी यही है,
जिंदगी में चाहे जो भी मिले, पर मां ऑफलाइन ही सही है।




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