घर के बाहर आतंक

जब आपका कोई पक्ष सुने और उसे तवज्जो देके संभाले या फेंक दे तो समझियेगा आप अच्छे शासक की छत्रछाया में हैं पर यदि आपके मत को हिंसक बनाकर क्रूरता से अत्याचार किया जाए और आपको ही रौंध दिया जाए तो समझो आप बहुत बड़ी मुसीबत में है। जिसके साथ नहीं हुआ है वो इस पर जरूर विचार करे। क्योंकि अगला नंबर आपका है।


सब्र अब कैसे करें, क्यों रहें शांति से,
पहले सज़ा दो पापी को फिर सोचेंगे माफी से,
माफ उन्हें हम क्यों करें और क्यों दया दिखाए,
हमारा अनाज खाकर हमे ही धमकी दे जाएं,

बात चुप रहने की नहीं, सुधार लाने की है,
आप जुमले सजाओ अगले चुनाव में डरने की है।
जो आतंक फैला रहा उसे ही कोष बांटे तुमने,
जो देश चला रहा उसी पर बरसाए डंडे तुमने,

अब कौन यकीन करेगा ये देश कैसा हो गया,
इतने खून खराबे में देश सेक्युलर कैसे रह गया,
फांसी से कम सजा भी, क्या जालिमो को दोगे,
देश लोकतंत्र का है इसका प्रमाण कैसे दोगे।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Popular Posts

आधुनिक मां
घर के बाहर आतंक
 गरीबी
विश्व वेदना
जब मैं पिता बना
गजब का प्यार